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प्रदीप मिश्रा के रुद्राक्ष महोत्सव में 2 लाख लोग जुटे:9 घंटे लाइन में इंतजार, बैरिकेड टूटे, भगदड़ जैसे हालात; 3000 लोगों की तबीयत बिगड़ी

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acn18.com कुबेरेश्वर / सीहोर के पास कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव शुरू होने से एक दिन पहले ही जुटी भीड़ के आगे व्यवस्था ने घुटने टेक दिए। रुद्राक्ष के लिए एक से डेढ़ किलोमीटर लंबी कतार लगी थी। बुधवार को इस कतार में 2 लाख से ज्यादा लोग लगे हुए थे। वहीं गुरुवार दोपहर तक करीब 10 लाख लोग सीहोर पहुंच चुके हैं। भीड़ को रोकने के लिए बांस और बल्लियों से बने बैरिकेड सैलाब बनी इस भीड़ को रोक नहीं पाए। दैनिक भास्कर की टीम की मौजूदगी में कई बार भगदड़ जैसे हालात बने। जब-जब कतार आगे बढ़ी महिलाएं और बुजुर्ग भगदड़ में बाहर हो जाते।

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बुधवार शाम 5 बजे तक यहां के प्राथमिक उपचार केंद्रों में 2 हजार से ज्यादा लोग पहुंच चुके थे। गुरुवार दोपहर तक ये आंकड़ा 3 हजार के पार हो गया है। ज्यादातर इस भीड़ भरी अव्यवस्था में घबराहट, उल्टी और चोट लगने के कारण पहुंचे थे।

हालात ये रहे कि 2 लाख से ज्यादा लोगों के जुटने पर प्रशासन की सांस फूल गई। उसने रुद्राक्ष बांटने वाली समिति से कहा कि एक दिन पहले रुद्राक्ष बांटना शुरू किया तब जाकर भीड़ संभाली जा सकती है। रुद्राक्ष का वितरण तय समय से एक दिन पहले शुरू भी हुआ, लेकिन इतनी भीड़ को संभालने के लिए लगाई गई व्यवस्था नाकाफी दिखी।

आयोजन समिति का कहना है कि 1500 से ज्यादा पुलिसकर्मी और 10 हजार से ज्यादा वॉलेंटियर्स व्यवस्था में लगे हुए हैं। असल बात तो ये थी कि ज्यादातर पुलिसवाले ट्रैफिक संभालने में ही लगे हुए थे।

मंदिर प्रांगण में जहां रुद्राक्ष वितरण केंद्र के लिए कतार थी, वहां भीड़ को कंट्रोल करने और व्यवस्था बनाने के लिए न तो पुलिस नजर आई न ही वालेंटियर्स।

सबसे पहले जानिए रुद्राक्ष ​​​​के लिए भीड़ क्यों

जो रुद्राक्ष बांटा जा रहा है, उसके बारे में श्रद्धालुओं को बताया जाता है कि रुद्राक्ष को पानी में डालना है और उस पानी को पी जाना है। ऐसा करने से उनकी हर समस्या दूर हो जाएगी। भले ही नक्षत्र खराब हो, बीमारी हो, भूत बाधा हो सब संकट का निवारण हो जाएगा। यही कारण है कि इस रुद्राक्ष को लेने के लिए लोगों की भीड़ जुटी है।

सोशल मीडिया से खूब किया प्रचार, भूखे-प्यासे खड़े रहे लोग

समस्याओं के निवारण वाला रुद्राक्ष बांटने की खबर पंडित प्रदीप मिश्रा ने खूब प्रचारित की थी। उन्हें सोशल मीडिया नेटवर्क से हर परेशान व्यक्ति को न्योता दिया गया था। यही कारण था देशभर से लोग अपनी समस्या का निवारण वाला रुद्राक्ष मुफ्त में पाने पहुंचे थे। जब भास्कर टीम ने यहां लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि हम यहां रुद्राक्ष के लिए सुबह छह बजे से कतारों में लगे हैं। अगर कतार से हटे तो नंबर चला जाएगा। यहां पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है, खाने की बात तो छोड़ दीजिए।

हमने कहा कि आप लाइन से हट क्यों नहीं जाते, तो उनका जवाब था कि हमें वो रुद्राक्ष चाहिए। लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहने से कई लोगों को घबराहट हो रही थी। शाम 4 बजे जब पानी का टैंकर पहुंचा तब पानी पीने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। इस बीच यहां पानी की बोतलें 40 रुपए में बिकती रहीं। शाम होते-होते आलम ये हो गया कि हाईवे से कुबेरेश्वर धाम की ओर जाने वाले प्रमुख रास्ते को पुलिस ने बंद करवा दिया। सिर्फ पैदल रास्ते से ही लोगों को एंट्री दी गई।

भीड़ और भगदड़ का आलम ये था कि आगरा से आए 70 साल के भगवान गुप्ता बेहोश होकर गिर पड़े। होश आने पर हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि लाइन में उनकी पत्नी गिर गई थीं। उन्हें बचाने के लिए वे बढ़े तो उन्हें घबराहट होने लगी। यदि वे अपनी वाइफ को नहीं बचाते तो उनकी जान चली जाती।

महाराष्ट्र के यवतमाल से आए योगेश मुटकुले ने बताया कि यहां जितने लोग पहुंच रहे हैं, उसके हिसाब से व्यवस्था बहुत ही कमजोर है। छत्तीसगढ़ के कोरबा से आईं संगीता सक्सेना ने बताया कि धक्का-मुक्की में वह कतार से बाहर हो गईं। उनके साथ आईं कविता शर्मा भी कतार से बाहर हो गईं। अब उनमें हिम्मत नहीं बची कि दोबारा कतार में लग सकें। महाराष्ट्र से आए विट्‌ठल सालिकराम ने कहा कि यहां तो आदमी कतार में खड़े होकर मर जाएगा। यहां कोई सुविधा ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं चाहिए रुद्राक्ष। हमें जान प्यारी है।

हमें रुद्राक्ष नहीं चाहिए, जान बची तो बाद में ले लेंगे…

श्री विट्‌ठलेश सेवा समिति उपचार केंद्र की ओर से बताया गया कि कई महिलाएं जख्मी होकर यहां पहुंची थीं। किसी के पैर में तार लगने से खून रिस रहा था तो किसी का पैर भीड़ ने कुचल दिया था। इन लोगों की ड्रेसिंग कर इन्हें जरूरी दवाएं दी गई हैं।

कोलकाता से आई सोनी सिंह रुद्राक्ष लेने के लिए लाइन में लगी थीं, पर भगदड़ के चलते बाहर निकल आईं। बोलीं कि अब रुद्राक्ष नहीं चाहिए। यहां बच्चे और बुजुर्ग चपा (दब) जा रहे हैं। उनके साथ मौजूद उनकी सास की सांस फूल रही थी। बहुत भीड़ है। हमें रुद्राक्ष नहीं चाहिए। जान सलामत रही तो फिर रुद्राक्ष ​ले ले लेंगे।

महाराष्ट्र से आए अभिषेक बाबुलकर ने बताया कि यहां मैनेजमेंट नहीं है। लाखों की भीड़ है। खाना-पानी तक नहीं मिल पा रहा है। लोग एक-दूसरे को कुचल रहे हैं। पुलिस प्रशासन भी कुछ नहीं कर रहा है। जान से ज्यादा अधिक तो नहीं है ना रुद्राक्ष। हमें तो नहीं चाहिए बाबा।

अलीगढ़ से आईं विनेश कुमारी ने बताया कि सुबह से पानी का इंतजार करती रही थी, शाम को मिला। पांच दिन से यहां पर हूं, लेकिन रुद्राक्ष नहीं मिला है। भाई की परेशानी को दूर करने के लिए अकेली आई हूं।

जबलपुर के अनिल कुमार सोनी ने बताया कि यहां पर इतना रश है कि कोई व्यवस्था समझ में नहीं आ रही है। पानी पीने के लिए भी दो से तीन घंटे लग रहे हैं। एक बार तो भगदड़ मच गई थी। यहां बच्चे और बुजुर्ग आ रहे हैं। अव्यवस्था का आलम यही रहा तो ये संकेत ठीक नहीं है। भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।

ये वो हैं जो किसी भी कीमत पर रुद्राक्ष लेकर ही जाएंगे…

रितिका भी रुद्राक्ष के लिए सुबह सात बजे से लाइन में लगी थीं। अभी उन्होंने आधा ही फासला तय किया था। बोलीं कि बाबा सबकी रक्षा करने के लिए हैं। अब चाहे जो हो, रुद्राक्ष तो लेकर ही जाएंगे।

इंदौर से आई श्रद्धा चौहान अपने जुड़वा बच्चों पर्व और पार्थ के साथ रुद्राक्ष लेने पहुंची थीं। बोलीं- रुद्राक्ष का प्रसाद लेकर ही जाना है, बिना रुद्राक्ष के नहीं लौटेंगे।

बिजनौर के राहुल शर्मा भाग्यशाली निकले। वो सुबह सबसे पहले लाइन में लग गए थे। उन्हें रुद्राक्ष मिल गया। राहुल बोले- 10 काउंटर बने हैं। पब्लिक को व्यवस्था के अनुसार चलना चाहिए नहीं तो अव्यवस्था तो फैलेगी ही।

शाम 5 बजे तक पहुंचे 1200 मरीज

इसके बाद हम प्राथमिक उपचार केंद्र पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात फार्मासिस्ट महेंद्र सिंह ठाकुर से हुई। महेंद्र ने बताया कि सुबह से शाम 5 बजे तक 600 से ऊपर लोग यहां बीमारी और घबराहट के चलते आए हैं। इसमें 50 प्लस की उम्र वाले पुरुष और महिला अधिक थे।

सीएचओ नापलाखेड़ी ओसिन जाफरी ने बताया कि भगदड़ में एक महिला के पैर में तार घुस गया था। कई अन्य महिलाओं को चोटें आई हैं। इसके अलावा बुखार, उलटी-दस्त के मरीज भी आ रहे हैं। भगदड़ में घायल जालना की सुभद्रा भी यहां पहुंची थीं। उनके पैर में चोटें आई है।

उधर, प्राथमिक उपचार केंद्र के डॉ. गोस्वामी ने बताया कि अब तक उनके पास 1200 से ज्यादा मरीज पहुंच चुके हैं। ज्यादातर घबराहट वाले हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ने से लोगों को भीड़ के चलते बेचैनी हो रही है।

महाराष्ट्र से आए वॉलेंटियर मधुर विजयवर्गीय ने बताया कि धाम की व्यवस्था में 10 हजार लोग लगे हैं। हमारा कार्यक्रम 16 से शुरू हो रहा है, पर लोग एक दिन पहले आ गए। इस कारण अव्यवस्था हुई। गुरुजी (पंडित प्रदीप मिश्रा) के साथ बैठकर कल की व्यवस्था पर चर्चा करेंगे।

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