स्वास्थ्य तंत्र की चूक या सुनियोजित साजिश? तौलियों में लिपटी मौत की कहानी,, ACN न्यूज़ ने खोली अस्पतालों की पोल,,
*जांजगीर-चांपा । विशेष रिपोर्ट:–*
जांजगीर-चांपा जिले में स्वास्थ्य तंत्र की चूक या सुनियोजित साजिश? तौलियों में लिपटी मौत की कहानी,, Grand न्यूज़ ने खोली अस्पतालों की पोल, ख़बर प्रकाशन के बाद मामले को संज्ञान में लिए स्वास्थ्य विभाग तत्काल दिए जांच के निर्देश, जनहित के मुद्दों को लेकर फिर से एक सुर्खियों में ACN न्यूज़ देखें पुरी रिपोर्ट।
एक दर्दनाक मौत, दो अस्पताल और एक गहरी साजिश — जांजगीर-चांपा से सामने आई यह घटना पूरे प्रदेश को हिलाकर रख देने वाली है। एक महिला की मौत के बाद सामने आया वह वीडियो जिसमें ऑपरेशन थिएटर (OT) के अंदर मरीज के पेट से तौलिया निकाला गया, उसने प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, बिलासपुर स्थित एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में हड़कंप मच गया। OT स्टाफ और नर्सिंग कर्मियों पर दबाव बनाया गया, उन्हें धमकी दी गई कि अगर वीडियो डिलीट नहीं किया गया, तो उनके नर्सिंग रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिए जाएंगे। कुछ ने डर के चलते अपने मोबाइल से वीडियो मिटा भी दिया, लेकिन क्या डिजिटल सबूत मिटाने से सच्चाई भी मिट जाती है?
*दो अस्पताल, एक चूक, और एक साजिश*
मृतका का इलाज पहले जांजगीर के दादी सती अस्पताल में हुआ था, जहां लापरवाही से महिला के पेट में ऑपरेशन के बाद तौलिया छोड़ दिया गया। स्थिति बिगड़ने पर परिजन उसे बिलासपुर के लाइफ केयर अस्पताल ले गए, जहां असलियत सामने आई। वीडियो में साफ दिखाई देता है कि जब डॉक्टरों ने पेट से तौलिया निकाला तो उनके चेहरे पर घबराहट थी।
परिजनों का आरोप है कि बिलासपुर अस्पताल ने भी सच्चाई छिपाने की कोशिश की और पूरे मामले को दबाने की साजिश रची। दूसरी ओर, कुछ कर्मचारी खुद पीड़ित परिजनों को FIR दर्ज कराने की सलाह दे चुके थे।
*परिजनों पर भी दबाव, निगरानी में घर*
मृतका के परिजनों ने बताया कि एक समय पर खुद महिला ने ऑपरेशन के बाद पेट में कुछ गलत होने की बात कही थी। वहीं, यह भी सामने आया कि ससुराल पक्ष के एक सदस्य ने अस्पताल से मिलकर मामला दबाने की कोशिश की। हैरान करने वाली बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन ने मृतका के घर पर अपना एक चौकीदार तक तैनात कर दिया, ताकि कोई मीडियाकर्मी या समाजसेवी घरवालों से न मिल सके।
*कानूनी दृष्टिकोण: क्या होगा अगला कदम?*
इस मामले में IPC की धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु) और 120B (षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को हस्तक्षेप कर दोषी डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द करना चाहिए। यह केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में फैली संस्थागत लापरवाही और भ्रष्टाचार की एक बानगी है।