spot_img

*बस्तर की बिटिया अपूर्वा त्रिपाठी ने राष्ट्रीय ग्रीन समिट में पेश किया ‘नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल’, पर्यावरण बचाने के लिए दिया अनूठा समाधान”*

Must Read

Acn18. Com.रायपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय ग्रीन समिट के तकनीकी सत्र 3 अक्टूबर 2024 अपराह्न में बस्तर की बेटी, अपूर्वा त्रिपाठी ने विशेषज्ञ के तौर पर भाग लिया और बस्तर में जैविक पद्धति से की जा रही*उच्च लाभदायक बहुस्तरीय खेती* के अंतर्गत जड़ी बूटियों की खेती तथा ,,जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए ‘नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल’ की अनूठी अवधारणा पर अपना वक्तव्य दिया। अपूर्वा, जो एक प्रतिष्ठित कानून विशेषज्ञ होने के साथ-साथ वनवासी महिलाओं के अधिकारों पर शोध कर रही हैं, ने दुर्लभ और औषधीय पौधों की खेती से जुड़े अपने अनुभव साझा किए।

- Advertisement -

अपूर्वा ने अपने कार्य के बारे में बताते हुए कहा कि यह तीन दिवसीय सम्मेलन पर्यावरण को बचाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जूझने के लिए आयोजित किया गया है, जो एक सराहनीय पहल है। उन्होंने “मां दंतेश्वरी हर्बल फर्म्स एवं रिसर्च सेंटर” द्वारा डॉ राजाराम त्रिपाठी के नेतृत्व में पिछले 30 वर्षों की मेहनत से विकसित “नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल” पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कुलपति कृषि विश्वविद्यालय, आयोजन समिति के द्वारा अपूर्वा त्रिपाठी के प्रदर्शन तथा योगदानों को सराहते हुई *उन्हे सम्मानित किया गया तथा ग्रीन सबमिट ‘विशिष्ट-सम्मान’ भी प्रदान किया गया।*

नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल की विशेषताएं:
1. कम लागत, ज्यादा लाभ: अपूर्वा ने बताया कि एक पारंपरिक पाली-हाउस तैयार करने में करीब ₹40 लाख का खर्चा आता है और इसकी उम्र अधिकतम 8-10 साल होती है, जिसके बाद इसे कबाड़ में बदलना पड़ता है। इसमें यउपयोग होने वाला प्लास्टिक भी पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या है। इसके विपरीत, नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल सिर्फ ₹1 लाख की लागत में तैयार किया जा सकता है और यह कई दशकों तक स्थिर रहता है।

2. उत्पादन से भारी मुनाफा: इस मॉडल से 10 सालों में 3 करोड़ रुपए की लकड़ी प्राप्त होती है, *यानी किसान को एक साल में करीब ₹30 लाख प्रति एकड़ का मुनाफा।* इसके अतिरिक्त, इसमें लगे पेड़ों पर काली मिर्च की लताएं चढाकर और वृक्षारोपण की उपरांत बच्ची लगभग 85% खाली जमीनों पर औषधीय पौधों की खेती भी की जा सकती है, जिससे हर साल ₹3-5 लाख की अतिरिक्त आमदनी भी होती है, बड़ी बात यह है कि इस कमाई की रकम साल दर साल तेजी से बढ़ते जाती है।
3. पर्यावरण अनुकूल: नेचुरल ग्रीनहाउस न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन से निपटने का भी एक प्रभावी समाधान प्रस्तुत करता है। यह मॉडल प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला साबित हो रहा है।

सम्मेलन में अपूर्वा की भूरी-भूरी प्रशंसा:
अपूर्वा त्रिपाठी के व्यक्तित्व और उनके कार्यों की प्रशंसा तकनीकी सत्र की अध्यक्षता कर रहे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। उन्होंने कहा, “अपूर्वा त्रिपाठी जैसी बेटियां ही छत्तीसगढ़ और देश का भविष्य संवार सकती हैं।” इसके अलावा, राज्य औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ जेसीएस राव, असम के रिटायर्ड आईएफएस जितेंद्र शर्मा और पद्म श्री वैद्य हेमचंद्र माझी ने भी इस सत्र में अपने विचार साझा किए।

अपूर्वा त्रिपाठी के विचारों और उनकी पेशकश को ग्रीन समिट में मौजूद देश-विदेश के विशेषज्ञों और शोधार्थी छात्रों ने बेहद सराहा। अपूर्वा ने साबित कर दिया है कि छत्तीसगढ़ की बेटियां न केवल राज्य, बल्कि पूरे देश को एक नई दिशा दे सकती हैं।

*प्रमुख बिंदु:*
*अपूर्वा त्रिपाठी ने नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल को प्रस्तुत करते हुए कम लागत में बड़े लाभ का समाधान दिया।*

*इस मॉडल से 10 साल में 3 करोड़ की लकड़ी का उत्पादन और 30 लाख वार्षिक मुनाफा संभव है।*

*काली मिर्च और औषधीय पौधों की खेती से अतिरिक्त ₹3-5 लाख की सालाना आमदनी।*

*नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल पर्यावरण के अनुकूल तथा ‘क्लाइमेट-चेंज’ की चुनौतियों का टिकाऊ समाधान है।*

अपूर्वा की इस पहल ने रायपुर के राष्ट्रीय ग्रीनसमिट में बस्तर के नाम को एक नई ऊंचाई दी और उनका योगदान छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

 

377FansLike
57FollowersFollow
377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

*मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बिलासपुर में ’श्री रामसेतु मार्ग’ का किया लोकार्पण*

Acn18.com रायपुर, 23 नवंबर 2024/मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने शनिवार की शाम बिलासपुर के रिवर व्यू पर बने श्री...

More Articles Like This

- Advertisement -