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छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर 27 नक्सलियों का एनकाउंटर:14 शव रायपुर लाए गए, रुक-रुककर फायरिंग जारी; 25 से ज्यादा माओवादियों के छिपे होने की खबर

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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में 27 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। कुल्हाड़ी घाट स्थित भालू डिग्गी के जंगल में अब भी रुक-रुककर फायरिंग हो रही है। रातभर नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई। फोर्स के मुताबिक यहां 25 से ज्यादा माओवादी मौजूद हो सकते हैं। मंगलवार को मारे गए 14 नक्सलियों के शव रायपुर मेकाहारा लाए गए। इनमें 6 महिला और 8 पुरुष हैं। 22 डॉक्टर्स की टीम पोस्टमॉर्टम करेंगे।

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एनकाउंटर में 1 करोड़ का इनामी जयराम उर्फ चलपति समेत कई कमांडर मारे गए। पूरी रात गरियाबंद डीआरजी और सीआरपीएफ कोबरा के जवान मौजूद रहे। एसपी निखिल राखेचा ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सुबह से सर्च ऑपरेशन जारी है।

रविवार रात को छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया। सोमवार को गरियाबंद के भालू डिग्गी जंगल में दिनभर रुक-रुककर फायरिंग हुई जो मंगलवार को भी जारी रही। ऑपरेशन में करीब 1000 जवानों निकले थे।

2 जवान घायल

मुठभेड़ में 2 जवान भी घायल हुए हैं। 20 जनवरी को घायल हुए एक जवान को एयरलिफ्ट कर रायपुर लाया गया। SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) जवान के पैर में गोली लगी है। इसी तरह 21 जनवरी को मुठभेड़ में एसओजी नुआपाडा का आरक्षक घायल हुआ। इसे भी इलाज के लिए रायपुर भेजा गया। दोनों की हालत सामान्य है। मुठभेड़ में जवानों को मिली कामयाबी पर केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि, देश में नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है।

सर्चिंग पर निकले जवानों पर किया हमला

छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया था। इसमें 10 टीमें एक साथ निकली थीं। 3 टीम ओडिशा से, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस से और 5 CRPF टीम इस ऑपरेशन में शामिल थीं। जवान क्षेत्र में सर्चिंग अभियान पर निकले थे, तभी नक्सलियों ने उन पर हमला किया। 20 जनवरी को 3 IED भी बरामद किए गए थे।

पहली बार ड्रोन का ऐसा इस्तेमाल बस्तर में ड्रोन का प्रयोग मुठभेड़ के समय नहीं किया जा सका, क्योंकि जंगल इतने ज्यादा हैं कि कुछ भी दिखना संभव नहीं हो पाता। ड्रोन कैमरे से देखकर नक्सलियों को मारने का यहां पहला प्रयोग किया गया।

बस्तर की तरफ से गरियाबंद भाग रहे नक्सली जिन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, वो सेंट्रल कमेटी के हैं। ये नक्सलियों के टॉप लीडर होते हैं। गरियाबंद में अब तक DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर), ACM (एरिया कमेटी मेंबर) ही मूवमेंट करते थे, लेकिन पहली बार टॉप लीडरों की मौजूदगी इस तरफ दिखी है।

इसका कारण हो सकता है कि बस्तर में अबूझमाड़ तक फोर्स के कैंप बन चुके हैं। अबूझमाड़ और पामेड़ ही नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था, लेकिन लगातार एनकाउंटर से नक्सली गरियाबंध की तरफ भागे होंगे।

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