acn18.com रायपुर/ छत्तीसगढ़ में सरसों की फसल से साथ बिलकुल उसी की तरह दिखने वाली एक खरपतवार आर्गेमोन के बीच कहर ढाने लगे हैं। डाक्टरों का दावा है कि सरसों में आर्गेमोन के बीज अलग नहीं किए जा रहे हैं, बल्कि उसके साथ ही तेल बन रहा है तो इस तेल का उपयोग गॉल ब्लेडर के कैंसर की बड़ी वजह बन गया है। सरसों तेल में इसी आर्गेमोन के बीज का तेल होने की वजह से सरगुजा के बैकुंठपुर इलाके से सबसे ज्यादा मरीज निकले हैं।
कैंसर अस्पताल में हुई रिसर्च के मुताबिक पिछले 6 साल में आर्गेमोन की वजह से लगभग 1500 लोगों में कैंसर डिटेक्ट हुआ, जिसमें से 1000 मरीज बैकुंठपुर और आसपास के इलाके के ही हैं। इनमें लगभग सभी मरीज 45 से 60 वर्ष की आयु के हैं।
राजधानी के एक कैंसर अस्पताल में हुई रिसर्च से यह बात सामने आई कि जिस इलाके में सरसों तेल के इस्तेमाल की वजह से गॉल ब्लेडर के कैंसर की बात आई है, वह सरसों तेल नहीं बल्कि इसमें मिले आर्गेमोन खरपतवार के बीज के तेल से हो रहा है। बैकुंठपुर क्षेत्र के गॉल ब्लेडर कैंसर के मरीजों की हिस्ट्री में यह बात आ रही थी कि भोजन में सरसों का तेल उपयोग करते हैं।
तब यहां के कैंसर विशेषज्ञों का माथा ठनका क्योंकि इस तेल से कैंसर फैलने को लेकर रिसर्च बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में भी हुआ था। मरीज बढ़ने लगे, तब डाक्टरों ने बीएचयू के रिसर्च के आधार पर मरीजों को सरसों तेल छोड़ने की सलाह दी। इसके बाद रिसर्च शुरू हुआ कि आखिर कारण क्या हो सकते हैं। सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन व डॉ. अर्पण चातुरमोहता ने बताया कि बार-बार तेल को गर्म करने से इसमें जहरीले तत्व उत्पन्न हो रहे हैं, जो कैंसर की वजह बन रहे हैं।
स्टडी नहीं, पर पांच साल में गला-सर्वाइकल कैंसर बढ़ा
प्रदेश के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर डा. प्रदीप चंद्राकर ने बताया कि उनके संस्थान में सरसों के तेल से कैंसर फैलने संबंधी कोई स्टडी नहीं हुई है। लेकिन इतना जरूर है कि पिछले पांच साल में गले का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर के केस बढ़े हैं।
केस-1: 52 वर्षीय व्यक्ति को पेट में पानी भरने की शिकायत हुई। स्थानीय इलाज से राहत नहीं मिली तो रायपुर पहुंचे। बायोप्सी में गॉल ब्लेडर के कैंसर की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि लोकल तेल का इस्तेमाल कर रहे थे।
केस-2 : 45 वर्षीय महिला का पीलिया का इलाज चला, लेकिन ठीक होने के बजाय पेट में पानी भरने लगा। बायोप्सी से कैंसर की पुष्टि हुई, अब ठीक भी हो गई। वह भी लोकल सरसों तेल का उपयोग कर रही थी।
रिसर्च में खुलासा: आर्गेमोन जहरीले केमिकल बनाता है, यही घातकर देता है।
मरीज आए थर्ड-फोर्थ स्टेज में
गाॅल ब्लेडर के कैंसर से पीड़ित ज्यादातर मरीज थर्ड या फोर्थ स्टेज में इलाज के लिए अस्पतला पहुंच रहे हैं, क्योंकि लंबे समय तक उनका दूसरा इलाज चलता है। इसलिए ऐसे मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाता है। जल्दी आने वाले मरीजों की जान बच भी जाती है।
गॉल ब्लेडर कैंसर के महत्वपूर्ण लक्षण
- दाएं तरफ लीवर के नीचे दर्द
- पीलिया, वजन में तेज गिरावट
- पेट में पानी भरना, फूलापन
- पेट में गांठ जैसी स्थिति भी
तेल बार-बार गर्म न करें
सरसों का तेल खतरनाक नहीं है, अगर इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। आर्गेमोन के बीज कैंसर के लिए जिम्मेदार है। लोग जब सरसों बाेएं, तो खरपतवार की छंटाई कर दें। बार-बार गर्म करके तेल का उपयोग न करें।
-डॉ. यूसुफ मेमन, डायरेक्टर, संजीवनी कैंसर अस्पताल