हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय (अंतरराष्ट्रीय) कार्यकारिणी की अंतरराष्ट्रीय बैठक झांसी के होटल द मारवलस में आयोजित हुई। जिसमें देश भर के साहित्यकार और चिंतक जुड़े। इस बैठक में छत्तीसगढ़ से मार्गदर्शक मंडल के सदस्य सुविख्यात भाषा विद डॉ. चितरंजन कर और हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ़ के महामंत्री डॉ सुनीता मिश्र ने सहभागिता की। बैठक में संविधान में संशोधन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप मान्यता प्रदान कराने का संकल्प पारित किया गया एवं भारतीय भाषाओं के उन्नयन के साथ-साथ भारतीय दर्शन, सनातन संस्कृति, भारतीय इतिहास और साहित्य को विशेष महत्व प्रदान करने पर भी चर्चा हुई।
केन्द्रीय अध्यक्ष डाॅ रवींद्र शुक्ल ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि हमें साहित्य के माध्यम से भारतीय कला, संस्कृति, को समझना होगा और जन चेतना को जागृत करना होगा। हिंंदी साहित्य भारती साहित्यिक संगठन के साथ-साथ वैचारिक संगठन भी है। इसे और मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है। डाॅ सुनीता मिश्र ने हिंदी साहित्य भारती छत्तीसगढ के गतिविधियों का विवरण रखते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ हिंदी भाषा और साहित्य को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य में निरंतर गतिविधियाँ आयोजित की जाती है।
कार्यक्रम में डॉ. चितरंजन कर को ध्येय गीत और मातृ वंदना को स्वरबद्ध करने के लिए शाल, श्रीफल व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं डॉ.सुनीता मिश्र को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य आतिथ्य माननीय उप मुख्यमंत्री उ. प्र. बृजेश पाठक थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व राज्यपाल महामहिम कप्तान सिंह सोलंकी, महामहिम शेखर दत्त, महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी शाश्वतानंद गिरि,मान. अजय भट्ट एवं पर्यटन मंत्री भारत सरकार, मान. जयवीर सिंह पर्यटन मंत्री उ. प्र. सरकार, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संचालक केरल में जन्मे जे. नंदकुमार का रहे । इसके अतिरिक्त डॉ. अखिलेश पाण्डेय, कुलपति विश्वविद्यालय उज्जैन, डॉ. मुकेश पाण्डेय कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी, डॉ.सुशील चतुर्वेदी कुलपति केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी, डॉ. संजय द्विवेदी, महानिदेशक जनसंचार संस्थान ,भारत सरकार दिल्ली, डॉ. विनोद मिश्र पूर्व महासचिव विश्व हिंदी सचिवालय, मारीशस, पद्मश्री मान. विष्णु पांड्या जी, निदेशक साहित्य अकादमी, गुजरात, भूपेंद्र सिंह अध्यक्ष सउदी अरब,डॉ हेमराज सुंदर मारीशस समेत देश विदेश के लोगों की गरिमामय उपस्थिती रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी साहित्य भारती के केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रवींद्र शुक्ल जी ने की।
भारत के प्रत्येक प्रदेश तथा अनेक देशों के उच्च कोटि के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान प्रतिनिधि इस दो दिवसीय आयोजन में विचार मंथन हेतु उपस्थित रहे।
केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रवींद्र शुक्ल जी ने छत्तीसगढ़ प्रदेश के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जिस सक्रियता से छत्तीसगढ़ में कार्य किया जा रहा है वैसे ही उम्मीद हम सभी प्रांतों से करते हैं।इस अवसर पर हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने छत्तीसगढ़ के जिलों से प्राप्त पत्रलेखन अभियान की हस्ताक्षरित पाँच हजार प्रतियाँ सौंपी गई ।