ACN18.COM रायपुर। स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए नवीन शिक्षा सत्र 16 जून से प्रारंभ हो रहा है. स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस संबंध में सभी मंत्रियों, संसदीय सचिव, सांसद, विधायक, नगरीय निकाय और पंचायत प्रतिनिधियों को पत्र लिख यह अपेक्षा की है कि कोई भी बच्चा शाला त्यागी और अप्रवेशी न रहे.
वहीं इस संबंध में सभी जनप्रतिनिधि स्कूलों में नियमित उपस्थिति के लिए विशेष प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन प्रदान करेंगे. उन्होंने पत्र में लिखा है कि हम सब मिलकर इस सत्र से स्कूली शिक्षा में अपेक्षा अनुरूप परिवर्तन लाने में सफल होंगे.
मंत्री डॉ. टेकाम ने सभी जनप्रतिनिधियों से कहा है कि, प्रवेश उत्सव में अवश्य सहभागी बनें और अपने-अपने क्षेत्र की शालाओं में प्रवेशोत्सव को यादगार रूप में मनाते हुए अपनी सहभागिता देकर पालकों को शासकीय शालाओं में बेहतर और गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदाय करने के लिए आश्वस्त करें. हमारे शिक्षकों ने मेहनत से शैक्षणिक सामग्री तैयार की है जो उपयोगी सिद्ध होगी.
मंत्री डॉ. टेकाम ने अपने पत्र में कहा है कि, ये सभी स्कूल हम सभी के हैं और हम सबको मिलकर ही इन स्कूलों को चलाना है. इस वर्ष हम उम्मीद करते हैं कि हमारे राज्य में अधिक से अधिक पालक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजें और प्रवेश दिलवाएं. इसके लिए हम सब को अपने-अपने क्षेत्रों में संचालित शालाओं पर लगातार नजर रखते हुए उसमें पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार हेतु आवश्यक प्रयास करना है. सभी को मालूम है कि विगत वर्षों में कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई है. इस वर्ष हम समय पर स्कूल खोल पा रहे है और आशा करते है कि पूर्व की भांति पूरे जोर-शोर से स्कूल का संचालन होगा और हमारे बच्चे पढ़ने-लिखने-सीखने की दक्षता प्राप्त कर लेंगे.
रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी(DEO) ने सभी स्कूल के प्रिंसिपल और हेड मास्टर को एक निर्देश जारी किया है। यह पहली बार है जब जिला शिक्षा अधिकारी ने पढ़ाई पर फोकस पहले दिन से ही करवाने की बात पर जोर देते हुए तमाम शाला प्रमुखों को लेटर जारी किया है।
जिला शिक्षा अधिकारी ए एन बंजारा ने खासतौर पर जोर दिया है कि बच्चों को पहले दिन से ही पढ़ाई पर फोकस करवाएं। उन्होंने टीचर से यह भी कहा है कि जुलाई 31 तक इस बात का खाका तैयार करें कि पूरे साल किस तरह से बच्चों को सिखाया और पढ़ाया जाएगा।
बनेगा रोड मैप
इस खत में DEO ने लिखा है कि पहले दिन से ही क्लास में थ्योरी और प्रैक्टिकल पर खास जोर देते हुए क्लास में कक्षाएं लगाई जाएंगी। इसके अलावा जन सहयोग से क्लासरूम को आकर्षक और कलरफुल बनाया जाएगा। उन्होंने संस्था के प्रमुखों से एक रोडमैप तैयार करने को कहा है। जिसमें टीचर यह बताएंगे कि बच्चों को क्या-क्या किस तरह से अभ्यास कराते हुए सिखाया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी ने साफ तौर पर स्कूलों को जिम्मेदारी दी है कि हर क्लास के बच्चे के सीखने और समझने की दक्षता को बढ़ाना लक्ष्य होगा। निशुल्क बांटे जाने वाली पाठ्य पुस्तकें और यूनिफॉर्म जैसी चीजें भी बच्चों के लिए उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
गर्म पका हुआ मध्याह्न भोजन देने की बात भी कही गई है। एक और बात अपने खत में जिला शिक्षा अधिकारी ने कही है कि बच्चों को उनकी क्लास के अनुसार हिंदी और अंग्रेजी के साथ गणितीय कौशल सिखाने पर भी जोर देना होगा। इसके साथ-साथ बच्चों का मूल्यांकन यानी कि क्लास टेस्ट भी लेना होगा ताकि उन्हें और बेहतर करने में टीचर को जानकारी मिल सके।
क्योंकि हो चुकी है किरकिरी
नेशनल अचीवमेंट सर्वे (राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण) 2021 की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की हालत कुछ ठीक नहीं आई है। यह सर्वे स्कूली स्टूडेंट्स के विषयों पर किया जाता है। इस सर्वे में बच्चों की अलग-अलग विषयों में उनकी परफॉर्मेंस देखी जाती है। सर्वे से पता चला कि भाषा और गणित जैसे विषयों में छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट पिछड़ गए हैं। देश के अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ अलग-अलग विषयों में कहीं 32वें तो कहीं 34वें नंबर पर है। प्रदेश के विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। लिहाजा अब शैक्षणिक सत्र के शुरुआत के साथ ही पढ़ाई पर जोर देने के मूड में शिक्षा विभाग नजर आ रहा है।