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आपका बजट:गरीबों के लिए मुफ्त अनाज की योजना एक साल बढ़ाई गई, सीतारमण बोलीं- अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर

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acn18.com नई दिल्ली/वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना 5वां और देश का 75वां बजट पेश कर रही हैं। सीतारमण ने कहा कि यह अमृतकाल का पहला बजट है, जो पिछले बजट में खड़ी की गई नींव पर पड़ा है। हम ऐसा भारत चाहते हैं, जहां महिलाओं, किसानों, अनुसूचित जाति समेत सभी को जगह मिले।

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वैसे भी निर्मला सीतारमण पिछले 4 बजट में कुछ न कुछ नया करती आई हैं। चाहे वो ब्रीफकेस से बही-खाता हो, पेपर लेस बजट हो या फिर सबसे लंबा बजट भाषण। इस बार का पता नहीं। कुछ खास हो सकता है।

वजह तीन हैं…

1. इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं।

2. अगले साल लोकसभा चुनाव है, तो उससे पहले ये आखिरी फुल बजट है।

3. सरकार के पास देश को बताने और जताने का बड़ा इंस्ट्रूमेंट होता है बजट।

अब बजट स्पीच अपडेट्स…

  • अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर: भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रही है।
  • 28 महीने तक तक गरीबों को मुफ्त अनाज: कोविड महामारी के दौरान हमने यह निश्चित किया कि कोई भूखा न सोए। हमने 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को 28 महीने तक मुफ्त राशन दिया। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
  • प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हुई: 2014 से ही सरकार की कोशिश लोगों की जिंदगी को बहेतर बनाना और क्वालिटी देना रहा है। प्रतिव्यक्ति आय 1.97 लाख यानी दोगुने से ज्यादा हो गई है। दुनिया भारत को चमकदार सितारे की तरह देख रही है। ग्लोबल स्लोडाउन के चलते हमारी विकास दर 7% रही है। बाकी देशों की तुलना में सबसे मजबूत है।

8 बड़ी उम्मीदों से पहले देखिए हमारे कार्टूनिस्ट मंसूर की नजर से बजट…

अब उम्मीदों वाली बात…

1. इनकम टैक्स: 8 साल हुए, तब से कुछ नहीं बदला। तो इस बार टैक्स में छूट का दायरा बढ़ सकता है। बात आखिर 8 करोड़ से ज्यादा टैक्स पेयर्स की है।

2014 में छूट की सीमा ढाई लाख की गई थी। इसे 5 लाख किया जा सकता है। छूट बढ़ी तो लोअर इनकम क्लास को राहत मिलेगी। बाजार में भी चंद पैसे आएंगे। इकोनॉमी को सपोर्ट मिल सकता है।

2. महंगाई: गैस सिलेंडर 1100 रुपए का हो चुका है। कुछ जाने-माने लोग कह रहे हैं कि इनकी कीमतें कम करने का इंतजाम हो सकता है। उज्ज्वला योजना 9.58 करोड़ लोगों के पास है। इन्हें एक सिलेंडर पर 200 रुपए की सब्सिडी पिछले साल मई से दी जा रही है। इसे एक साल और बढ़ाया जा सकता है।

तस्वीर 22 जुलाई 2022 की है। कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम ने संसद परिसर में सिलेंडर उठा लिया था। महंगाई के खिलाफ विपक्ष के प्रदर्शन की ये सबसे चर्चित तस्वीरों में से एक है।
तस्वीर 22 जुलाई 2022 की है। कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम ने संसद परिसर में सिलेंडर उठा लिया था। महंगाई के खिलाफ विपक्ष के प्रदर्शन की ये सबसे चर्चित तस्वीरों में से एक है।

3. रोजगार और एजुकेशन लोन: बेरोजगारी पर कुछ बड़ा कहा जा सकता है। छोटे और मझोले उद्योगों के लिए ऐलान किए जा सकते हैं। मनरेगा को मिलने वाला पैसा भी इस साल बढ़ाए जाने की उम्मीद है। इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट बढ़ाने से भी रोजगार पैदा होंगे।

आत्म निर्भर भारत योजना (ABRY) के तहत 50.85 लाख नौकरियां पिछले साल दी जानी थी। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, टारगेट से 28% ज्यादा यानी 70 लाख नौकरियां दी गईं। इस पर फोकस बढ़ा तो इस साल नतीजे बेहतर हो सकते हैं। एजुकेशन लोन के सस्ते होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।

4. स्मार्ट फोन: मोबाइल फोन बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले आइटम्स पर इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी घटी तो अप्रैल के बाद मोबाइल खरीदना सस्ता हो सकता है। मार्केट की भी यही डिमांड है।

मार्केट तो यह भी मांग कर रहा है कि मोबाइल पर GST 18% से घटाकर 12% कर दी जाए, क्योंकि जब इसे 18% किया गया था तो 10 हजार वाले मोबाइल की कीमत 11 हजार 800 तक पहुंच गई थी। सरकार भी डिमांड मान सकती है।

पिछले साल ईयरफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर कस्टम ड्यूटी बढ़ी तो ये प्रोडक्ट्स महंगे हो गए। इस पर रियायत के आसार कम हैं, क्योंकि सरकार चाहती है कि ऐसे प्रोजेक्ट की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग मजबूत हो।

5. हेल्थ सेक्टर: एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड के बाद बीमा, वैक्सीन, टेक्नोलॉजी और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को ज्यादा मजबूत करना ही होगा। ऐसे में सरकार हेल्थ बजट में 20-30% की बढ़ोतरी कर सकती है। पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय को 86 हजार 200 करोड़ दिए गए थे।

इस बार हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए इसे किफायती बनाया जा सकता है। इसके लिए इंश्योरेंस पर लगने वाली GST को 18% से घटाकर 5% किया जा सकता है।

6. कृषि: इस बार एग्रीकल्चर सेक्टर को 2 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं। पिछली बार 1.32 लाख करोड़ का बजट था। नेचुरल फार्मिंग के लिए किसानों को इंसेंटिव के साथ ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए संगठन बनाने का ऐलान हो सकता है। पीएम किसान योजना की सम्मान निधि में भी बढ़ोतरी का ऐलान हो सकता है।

7. डिफेंस: सरकार की प्राथमिकता मेक इन इंडिया हथियार और टेक्नोलॉजी है। एक्सपर्ट का कहना है कि रक्षा बजट बढ़ना तय है, क्योंकि सीमा पर चीन से तनाव जारी है। इस साल बजट में 10% बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले साल 5.25 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे।

8. रेलवे: कोरोना काल के दौरान सीनियर सिटीजन को रेल किराये में छूट बंद हो गई थी। इस बार भी ये छूट नहीं दी जाएगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही साफ कर चुके हैं कि इससे बोझ बढ़ेगा।

रेल बजट बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि दिल्ली-मेरठ रैपिड ट्रेन, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन, पूर्वोत्तर को बाकी राज्यों से जोड़ने वाला बइरबी-साईरंग प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा करने का टारगेट है। अगले 2 साल में 400 वंदेभारत ट्रेनें चलाई जानी हैं, जो राजधानी और शताब्दी की जगह लेंगी। इनके लिए 1800 करोड़ रुपए दिए जा सकते हैं।

सीतारमण के 4 बजट, हर बार कुछ ना कुछ नया

1. 2019 पहला बजट: ब्रीफकेस बजट की जगह बहीखाता

सीतारमण ने पहले बजट के साथ ही परंपराओं को तोड़ना शुरू किया। 2019 में ब्रीफकेस बजट की जगह लाल कपड़े में बजट दस्तावेज लेकर पहुंचीं यानी बहीखाता। रिकॉर्ड 2 घंटे 17 मिनट तक भाषण दिया। इससे पहले सबसे लंबी स्पीच जसवंत सिंह ने दी थी। 2003 में वे 2 घंटे 15 मिनट तक बोले थे।

1 फरवरी 2019 की यह तस्वीर इतिहास बन गई, जब सीतारमण ब्रीफकेस में बजट की जगह बहीखाता लेकर संसद पहुंचीं।
1 फरवरी 2019 की यह तस्वीर इतिहास बन गई, जब सीतारमण ब्रीफकेस में बजट की जगह बहीखाता लेकर संसद पहुंचीं।

2. 2020 दूसरा बजट: इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण

सीतारमण ने 2 घंटे 42 मिनट तक भाषण दिया। ये भारतीय इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण था। तबीयत बिगड़ी तो आखिरी दो पन्ने पढ़े ही नहीं। पीठ से कह दिया कि इन दो पन्नों को पढ़ा हुआ मान लिया जाए।

3. 2021 तीसरा बजट: पहली बार पेपरलेस बजट

सीतारमण लाल रंग के टैबलेट में बजट लेकर पहुंचीं। इतिहास बना। देश का पहला पेपरलेस बजट पेश किया गया। देश के 3 राज्यों हिमाचल (2015), ओडिशा (2020) और हरियाणा (2020) में पहले ही पेपरलेस बजट पेश किया जा चुका था।

4. 2022 चौथा बजट: हलवा रस्म नहीं हुई, सबसे छोटा बजट भाषण

सीतारमण ने अपना सबसे छोटा बजट भाषण दिया। 1 घंटे 30 मिनट का। कोरोना के चलते प्रिंटिंग से पहले होने वाली हलवा सेरेमनी भी नहीं हुई। अधिकारियों को मिठाई बांटी गई। हालांकि 2023 के बजट में ये रस्म वापस आ गई। सीतारमण ने अधिकारियों को हलवा बांटा। ये लॉक इन प्रॉसेस की शुरुआत होती है। यानी ये अफसर बजट जारी होने तक बाहरी दुनिया से कट जाते हैं। ऐसा गोपनीयता के चलते किया जाता है।

2022 में हलवा रस्म नहीं हुई थी। 2023 में 26 जनवरी को सीतारमण ने खुद प्रिंटिंग से जुड़े साथियों को हलवा बांटा और लॉक-इन प्रॉसेस शुरू की।
2022 में हलवा रस्म नहीं हुई थी। 2023 में 26 जनवरी को सीतारमण ने खुद प्रिंटिंग से जुड़े साथियों को हलवा बांटा और लॉक-इन प्रॉसेस शुरू की।
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