Acn18.com/कांग्रेस में सवा दो साल बाद एक बार फिर बगावत के सुर देखने को मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं को भांपकर कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके स्पीकर को इस्तीफे दे दिए।
अब ये विधायक आज भी स्पीकर से मिलकर इस्तीफे मंजूर करने का मुद्दा रखेंगे। इस बार सचिन पायलट और उनके समर्थक शांत हैं, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक उग्र तेवर दिखा रहे हैं।
नए CM के चयन के लिए ऑब्जर्वर बनकर आए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन आज भी जयपुर में रहकर विवाद को सुलझाने का प्रयास करेंगे। माकन और खड़गे इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि CM के चयन का अधिकार हाईकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित हो जाए, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक अब 19 अक्टूबर तक किसी बैठक में आने को तैयार नहीं हैं।
माकन ने मंत्रियों से कहा, हम केवल हाईकमान के नाम प्रस्ताव लेने आए हैं
देर रात अजय माकन से गहलोत समर्थक मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी, बीडी कल्ला और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने मिलकर डिमांड चार्टर रखा। माकन ने तर्क दिया कि विधायक बेवजह नाराज हो रहे हैं। ऑब्जर्वर्स तो केवल CM चयन का अधिकार हाईकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित करवाने आए हैं, किसी खास नेता को CM बनाने हम नहीं आए हैं।
इस पर प्रतिनिधिमंडल में शामिल मंत्रियों ने प्रभारी से दो टूक कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने तक कोई बैठक नहीं होगी और गहलोत से पूछे बिना कोई CM का फैसला नहीं होगा। इसे सचिन पायलट को CM नहीं बनने देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
समर्थक विधायक अब गहलोत के अध्यक्ष का नॉमिनेशन करने के पक्ष में नहीं
गहलोत समर्थक विधायक अब अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नामांकन करने के भी पक्ष में नहीं हैं। शांति धारीवाल और स्पीकर सीपी जोशी के घर बैठकों में विधायकों ने गहलोत को राजस्थान का CM बनाए रखने की पैरवी की। साथ ही विधायकों ने गहलोत के अध्यक्ष पर नामांकन भरने के विचार को ही टालने का सुझाव दिया। विधायकों ने कहा कि चुनावों में धोखा हो सकता है।
कांग्रेस हाईकमान को खुली चुनौती, इस्तीफे देकर मोर्चा खोला
गहलोत समर्थक विधायकों ने नया CM चुनने के लिए रायशुमारी बैठक का बहिष्कार करके कांग्रेस हाईकमान को खुली चुनौती दे दी है। गहलोत समर्थकों के तेवर अब भी बरकरार हैं। विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके गहलोत समर्थकों ने हलचल मचा दी। विधायक पदों से स्पीकर को इस्तीफे सौंपकर आगे भी लड़ाई का फ्रंट खोल दिया है। गहलोत खेमा 90 से ज्यादा विधायकों के इस्तीफे देने का दावा कर रहा है।
हाईकमान का पायलट को CM बनाने का इशारा था, अब नए CM का चयन अटका
गहलोत समर्थक विधायकों के बागी तेवर अपनाने के बाद अब राजस्थान में नए CM के चयन का प्रोसेस अटक गया है। बताया जाता है कि कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को CM बनाने का इशारा कर दिया था। गहलोत समर्थकों को दोनों ऑब्जवर्स के आने से पहले ही इसकी भनक लग गई थी, जिसके बाद उन्होंने मोर्चा खोल दिया।
देर रात तक चले सियासी ड्रामे के बाद कई नए समीकरण बन गए। नए CM के चयन की रायशुमारी के लिए CM निवास पर विधायक दल की बैठक को रद्द करना पड़ा। अब विवाद शांत होने के बाद ही विधायक दल की बैठक के आसार हैं।
अचानक CM चयन के लिए बैठक बुलाने से नाराज हुए गहलोत समर्थक मंत्री-विधायक
गहलोत समर्थक विधायक और मंत्री इस बात से नाराज हैं कि गहलोत को विश्वास में लिए बिना आनन फानन में नए CM के चयन के लिए बैठक बुलाई गई। पायलट के खिलाफ पहले से ही लामबंद थे। जब CM चयन का फैसला करने के लिए अचानक विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो विधायक नाराज हो गए। CM के लिए पायलट का नाम हाईकमान की तरफ से फाइनल होने की सूचनाओं से नाराजगी और बढ़ गई।
खड़गे-माकन के जयपुर पहुंचने से पहले ही गहलोत समर्थकों ने बना ली थी रणनीति
विधायक दल की बैठक के लिए ऑब्जर्वर खड़गे और माकन के जयपुर पहुंचने से पहले ही गहलोत के पक्ष के मंत्री-विधायकों ने रणनीति बना ली थी। विधायक दल की बैठक का पहले तय समय शाम 7 बजे था, इससे पहले 5 बजे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक रख ली। शाम को विधायक जुटते ही रणनीति बदली और रात काे ही विधायक स्पीकर सीपी जोशी के बंगले पर विधायक इस्तीफे लेकर पहुंच गए। जोशी काे सबके इस्तीफे सौंप दिए गए। हालांकि, उन इस्तीफों पर कुछ एक्शन होने की संभावना नहीं है।
पायलट के विरोध में 70 विधायकों का इस्तीफा, गहलोत गुट ने 3 पॉइंट का एजेंडा रखा
राजस्थान की राजनीति एक नए मोड़ पर आ गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जगह पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बीच गहलोत खेमे ने मोर्चा खोल दिया है। विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के करीब 70 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर इस्तीफा दे दिया है। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया कि हमारे पास 92 विधायक हैं। हमारी एक ही मांग है कि बगावत करने वाले लोगों में से CM न बनाया जाए।
इस बीच, विधायक दल की बैठक रद्द होने के बाद ताजा घटनाक्रम को लेकर CM हाउस पर बैठक हुई। बैठक में राजस्थान प्रभारी व ऑब्जर्वर अजय माकन, मल्लिकार्जुन खड़गे, गहलोत, पायलट, रघु शर्मा और कुछ वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहे। गहलोत खेमे के विधायकों को मनाने और उनकी बात सुनने पर चर्चा की गई। खड़गे और माकन के सामने अशोक गहलोत के गुट ने 3 बिंदुओं का प्रस्ताव रखा है। गहलोत गुट का कहना है कि नया CM सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से ही होना चाहिए, यानी सचिन पायलट को CM न बनाया जाए। इसके साथ ही नए CM की घोषणा 19 अक्टूबर को अध्यक्ष के चुनाव के बाद की जाए और गहलोत के पसंद का ही मुख्यमंत्री बनाया जाए।
गुढ़ा के साथ अब दो विधायक रह गए
बसपा से कांग्रेस में आने वाले विधायकों में से अब मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के पास कोई नहीं रहा है। बसपा से कांग्रेस में आने वाले वाजिब अली, संदीप यादव और लाखन मीणा शाम को गुढ़ा को छोड़ धारीवाल के घर बैठक में पहुंच गए। जी-6 में अब गुढ़ा के साथ कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और खिलाड़ीलाल बैरवा ही रह गए हैं।
गहलोत खेमे ने विधायकों का संख्या बल दिखाया
गहलोत खेमे ने विधायकों का बहुमत उसके पास होने के फैक्टर को लेकर पायलट का विरोध शुरू कर दिया है। गहलोत समर्थकों ने 90 विधायकों के साइन करवाकर इस्तीफे सौंपने का दावा किया है। हाईकमान के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार करने के पीछे विरोध जताने और ताकत दिखाने की रणनीति थी। गहलोत खेमे ने बहुमत दिखाने का प्रयास किया है।
आगे पार्टी में खींचतान और बढ़ेगी
चुनावी साल से ठीक पहले कांग्रेस में एक बार फिर नेताओं के टकराव के हालात बन रहे हैं। पार्टी के प्रति लोगों के पर्सेप्शन में बदलाव आया है। अब गहलोत और पायलट कैंप की लड़ाई एक बार फिर खुलकर सामने आएगी। सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक-मंत्री कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक अब आरपार के मूड में हैं।
विधायकों के बागी तेवरों से पायलट और गहलोत पर असर
गहलोत समर्थक विधायकों के बागी तेवरों से अब नए CM के चयन और कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नामांकन पर भी असर होगा। गहलोत समर्थक विधायकों के तेवरों के बाद अब अध्यक्ष चुनाव के नामांकन पर भी संशय है। इस पूरे घटनाक्रम से CM की छवि पर भी असर होगा। इस घटनाक्रम के बाद पायलट को CM बनाने के हाईकमान के फैसले पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।