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मजदूर दिवस पर बोरे-बासी खाओ अभियान:सीएम भूपेश बघेल ने बोरे-बासी खाने की लोगों से अपील की, तो सोशल मीडिया में वीडियो-संदेशों की लगी कतार

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ACN18.COM छत्तीसगढ़/ छत्तीसगढ़ में पहली बार मजदूर दिवस कुछ अलग तरह से मनाया जाए। सीएम भूपेश बघेल ने प्रदेश के लोगों से बोरे-बासी खाकर मजदूर दिवस मनाने की अपील की, इसके बाद सोशल मीडिया पर संदेशों की लाइन लगी हुई है। दरअसल, ताजा भात को जब पानी में डुबाकर खाया जाता है तो उसे बोरे कहते हैं। इसे दूसरे दिन खाने पर यह बासी कहलाता है। डॉ. सुधीर शर्मा की किताब में संगृहीत डॉ गीतेश अमरोहित के लेख में इस सबंध में जानकारी दी गई है। विस्तार से जानिए बोरे बासी के बारे में…

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किसके संग खाएं बासी
आम या नींबू का अचार, प्याज और हरी मिर्च, दही या मही डालकर, खट्टी भाजी, कांदा भाजी, चेंच भाजी, बोहार भाजी, रखिया बड़ी, मसूर दाल की सब्जी या मसूर बड़ी, रात की बची हुई अरहर दाल के संग, कढ़ी, आम की चटनी, लाखड़ी भाजी, सलगा बरा की कढ़ी, जिर्रा फूल चटनी, बिजौरी।

बासी खाने से लाभ

  • बासी खाने से होंठ नहीं फटते, पाचन तंत्र को सुधारता है।
  • इसमें पानी भरपूर होता है, जिससे गर्मी के मौसम में ठंडक मिलती है।
  • पानी मूत्र विसर्जन क्रिया को बढ़ाता है जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
  • पथरी और मूत्र संस्थान की दूसरी बीमारियों से बचाता है।
  • चेहरे के साथ पूरी त्वचा में चमक पैदा करता है। पानी और मांड के कारण ऐसा होता है।
  • कब्ज, गैस और बवासीर से दूर रखता है।
  • मोटापे से बचाता है। मांसपेशियों को ताकत देता है।

कब-कौन करें परहेज

  • सूर्यास्त के बाद बासी नहीं खाना चाहिए।
  • अधिक वर्षा या ज्यादा ठंड वाले दिन में।
  • अस्थमा के मरीज इसे खाने से बचें।
  • सर्दी जुकाम या श्वांस रोगों के मरीज।
  • जिन लोगों को ज्यादा नींद आती है।
  • दो साल से कम उम्र के बच्चे भी।
  • ठंडे स्थान में रहने वाले लोग।
  • अत्यंत गर्म भोजन करने के तुरंत बाद।

डिब्बे से मजदूरों की गिनती
खेत मजदूर आम तौर पर बासी का डिब्बा किसी पेड़ के नीचे कतार से रख देते हैं। खेत का मालिक डिब्बों को देखकर अनुमान लगा लेता है कि कितने मजदूर आए हैं।

फायदा: समय बताती है बासी
बासी खाए के बेरा हो गे तो इसका मतलब है 1-2 बज रहा है। अगर कोई पूछे कितने बजे काम पर जाओगे-सामने वाला कहे- बासी खा के निकलहूं, मतलब है 8 बजे के करीब निकलेगा।

रोचक बातें… छत्तीसगढ़ी कहावत है- बासी के नून नई हटे

  • स्कूल में बच्चे गुरुजी से छुट्‌टी मांगने के लिए कहते हैं- बासी खाए बर जाहूं गुरुजी।
  • छत्तीसगढ़ी कहावत है- बासी के नून नई हटे। यानी गई हुई इज्जत वापस नहीं आती।
  • बासी का चावल अंगाकर, पान रोटी या फरा बनाने के भी काम आता है।
  • बची हुई बासी खड़ा नमक मिलाकर पशुओं को दे दी जाती है।
  • छत्तीसगढ़ी फिल्मों और एलबमों में भी बासी ले जाने, खाने के दृश्य हैं।
  • बोरे बासी छत्तीसगढ़ के लेखक कवियों का प्रिय विषय रहा है। बोरे बासी पर दोहा, चौपाई, कुंडलिया, छप्पय, त्रिभंगी, बरवै, आल्हा जैसे छंदों में साहित्य रचा गया है।
  • चिता की आग को तेज करने के लिए डाला पेट्रोल, हुआ विस्फोट, 11 लोग घायल
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