महाराष्ट्र के नंदूरबार में एक आदिवासी महिला के शव को 45 दिनों तक नमक के गड्ढे में रखने का मामला सामने आया है। लड़की के पिता ने इस काम को अंजाम दिया था। पिता का आरोप है कि मौत से पहले बेटी का रेप हुआ था, लेकिन पुलिस ने इसे आत्महत्या बता दिया।
पिता की जिद थी कि बेटी का दूसरा पोस्टमार्टम किया जाए, इसलिए उसका अंतिम संस्कार नहीं किया, बल्कि बॉडी को सुरक्षित रखने के लिए उसे नमक के गड्ढे में दफन कर दिया।
मीडिया में खबरें आने के बाद 14 सितंबर को नंदूरबार पुलिस हेल्थ टीम के साथ मौके पर पहुंची। उसके बाद परिजन की अपील पर पुलिस ने लड़की के शव को दूसरे पोस्टमार्टम के लिए मुंबई के जेजे अस्पताल भेज दिया गया है। जहां शुक्रवार को दूसरी अटॉप्सी की जाएगी।
शाहदा पुलिस के श्रीकांत घुमरे ने बताया कि मामले में अब तक तीन संदिग्धों रंजीत ठाकरे (19), सुनील उर्फ हाना वलवी (21), अमर उर्फ गोटू वलवी (18) को गिरफ्तार किया गया है।
लड़की का परिवार सतपुड़ा के डोंगर रंग में धडगांव तालुक के खडक्या गांव में रहता है। परिवार का कहना है कि पीड़िता ने घटना की जानकारी फोन पर दी थी। परिजन के मुताबिक गांव का रंजीत ठाकरे और एक दूसरा व्यक्ति ने 1 अगस्त को लड़की को जबरन कार में बैठाकर गांव से बाहर ले गया। लड़की ने फोन पर बताया था कि रंजीत और उसके साथियों ने उससे जबरदस्ती की है और वे उसे मार डालेंगे।
परिवार के मुताबिक थोड़ी देर पर उन्हें एक गुमनाम फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि आपकी बेटी ने आम के पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली है। पीड़ित के परिवार का आरोप है कि उनके पहुंचने से पहले कुछ लोगों ने लड़की का शव पेड़ से खींचकर सबूत मिटाने की कोशिश की। उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गई थी।